वास्तु शास्त्र मे घर की ऊर्जा को संतुलित बनाने के लिए कुछ सरल नियम दिये गये हैं उनका पालन करने पर जीवन को काफी बेहतर बनाया जा सकता है। प्रस्तुत हैं इस लेख मे ऐसे ही कुछ सरल नियम…..
वास्तु शास्त्र के अनुसार हम जहाँ भी वास करते हैं चाहे वह घर हो अथवा हमारा कार्यस्थल हो वहां पर ऊर्जा का प्रवाह होता है। यह प्रवाह बहुत सी चीजों पर निर्भर है जैसे किस दिशा मे क्या निर्माण किया गया है? अग्नि, जल, वायु और प्रकाश की व्यवस्था किस क्षेत्र मे और किस प्रकार से की गयी है, किन रंगो का इस्तेमाल किस दिशा मे हुआ है आदि। ऊर्जा यदि सकारात्मक होती है तो आपको लाभ होता है और यदि ऊर्जा बाधित होती है तो आपको नुकसान उठाना पड़ता है।
घर की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए कुछ सरल नियम अपना कर आप जीवन को काफी बेहतर कर सकते हैं । प्रस्तुत हैं ऐसे ही कुछ सरल नियम :-
Simple Vaastu Tips for happy life : वास्तु के सरल नियम :
- घर के मुख्य दरवाजे पर भगवान गणेश जी की दो प्रतिमायें (एक अंदर और एक बाहर) इस प्रकार लगवायें की उनकी पीठ से पीठ की ऊंचाई बराबर हो और एक का मुख बाहर की ओर और एक प्रतिमा का मुख अंदर की ओर रहे।
- श्री यंत्र को अभिमंत्रित करके तिजोरी मे रख लिया जाए तो आर्थिक उन्नति होती है।
- यदि घर के ईशान कोण मे मंदिर नही है तो घर की छत पर ईशान कोण मे पांच तुलसी के पौधे लगायें और तुलसी जी की सेवा और धूप दीप किया करें।
- दक्षिण और पश्चिम दिशा मे कोई दर्पण न लगायें सारे दर्पण पूर्व या उत्तर दिशा की ओर लगायें ।
- जल का कोई स्रोत उत्तर दिशा मे नही हो तो उत्तर दिशा मे बहते हुए जल की पेंटिंग लगायें परन्तु यह ध्यान रखें की उसमे कोई पर्वत, पत्थर या बड़े पेड़ नही हों।
- ईशान कोण सर्वाधिक महत्वपूर्ण कोण है इसमे शौचालय, रसोईघर, स्टोर या सीढ़ी का निर्माण भूलकर भी नही करें।
समस्या अधिक होने पर किसी वास्तु शास्त्री से वास्तु विजिट करा कर परामर्श लें।
जय प्रकाश
ज्योतिषशास्त्राचार्य एवं वास्तुशास्त्राचार्य
पायरा वास्तु एक्सपर्ट एवं साइंटिफिक वास्तु एक्सपर्ट
Director (Energy Vaastu)
Team Head (Learn and Cure)