Panchang क्या है? अक्सर आपने देखा होगा कि जब आप किसी पंडित या ज्योतिषी के पास मुहूर्त पूछने के लिए जाते हैं तो वह एक पुस्तक मंगाता है और उसे देखकर आपको मुहूर्त व्रत, त्यौहार या जो कुछ भी आपने पूछा है बताता है यही पुस्तक पंचांग है?
पंचांग(Panchang) का अर्थ है वह पुस्तक जिसमे पांच अंगों का समावेश है| यह पांच अंग है तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण | इन पांच अंगों के अलावा भी एक अच्छे पंचांग में बहुत सारी जानकारी रहती है जैसे व्रत और त्योहारों की सूची, ग्रहण विवरण, ज्योतिष के कुछ उपाय, 12 राशियों के फल, विवाह मुहूर्त, मुंडन मुहूर्त, गृह प्रवेश मुहूर्त आदि आदि |
तिथि (What is Tithi in Panchang) :-
तिथि पंचांग के पांच अंगो मे से एक है| सरल भाषा मे कहें तो सूर्य के अंश से चंद्र के अंश का अंतर जब 12 अंश हो जाता है तब एक तिथि होती है| 13 से 24 तक दूसरी 25 से 36 तीसरी और इसी प्रकार बढ़ते बढ़ते 15 तिथि हो जाती हैं अमावस्या के बाद से पूर्णिमा तक चंद्र बढ़ता है और इसे शुक्ल पक्ष कहते हैं इसमें पूर्णिमा तिथि को 15 संख्या से पंचांग मे दर्शाया जाता है|
पूर्णिमा के बाद प्रतिपदा से शुरू होकर चंद्र जब घटता है इसे कृष्ण पक्ष कहते हैं और इसी प्रकार घटते घटते 15 तिथियां हो जाती हैं और अमावस्या तिथि आ जाती है अमावस्या तिथि को पंचांग में 30 संख्या से पंचांग मे दर्शाया जाता है|
बाकी 14 तिथियां शुक्ल पक्ष हो या कृष्ण पक्ष 1 से 14 संख्या से दर्शायी जाती है |
तिथियों की संख्या और नाम इस प्रकार है :-
1) प्रतिपदा
2) द्वितीया
3) तृतीया
4) चतुर्थी
5) पंचमी
6) षष्ठी
7) सप्तमी
8) अष्टमी
9) नवमी
10) दशमी
11) एकादशी
12) द्वादशी
13) त्रयोदशी
14) चतुर्दशी
15 की संख्या से पूर्णिमा और 30 की संख्या से अमावस्या को दर्शाया जाता है।
करण (What is Karan in Panchang) –
करण पंचांग के पांच अंगो मे से एक है| तिथि के आधे भाग को करण कहते हैं | 12 अंश की एक तिथि होती है 6 अंश का एक करण होता है अर्थात एक तिथि मे दो करण होते हैं |
वार (What is Vaar in Panchang):-
वार पंचांग के पांच अंगो मे से एक है| भारतीय ज्योतिष में एक वार एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक माना जाता है | वार का क्रम वैसा ही है जैसा सारी दुनिया मे प्रचलित है| रविवार, सोमवार, मंगलवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार और शनिवार। यह सात वार हैं। सातो वारो के नाम किसी ग्रह पर आधारित है ।
नक्षत्र (What is Nakshatra in Panchang) :-
नक्षत्र पंचांग के पांच अंगो मे से एक है| ज्योतिष शास्त्र में मेष राशि से मीन राशि तक 12 राशियां होती हैं| इन 12 राशियों का आधार 27 नक्षत्र है| इन 27 नक्षत्रो के अलावा अभिजित नक्षत्र भी इन्हीं 27 नक्षत्र मे से उत्तराषाढ़ा और श्रवण के मध्य माना गया है | नक्षत्र अश्वनी से रेवती तक होते हैं। अश्वनी पहला और रेवती 27वां नक्षत्र है।
योग (What is Yoga in Panchang) :-
योग पंचांग के पांच अंगो मे से एक है| सूर्य अंश और चंद्र अंश के जोड़ से योग का निर्माण होता है | योगों की संख्या 27 है |
27 योगों के नाम इस प्रकार हैं:- विष्कुम्भ, प्रीति, आयुष्मान, सौभाग्य, शोभन, अतिगण्ड, सुकर्मा, धृति, शूल, गण्ड, वृद्धि, ध्रुव, व्याघात, हर्षण, वज्र, सिद्धि, व्यतीपात, वरीयान्, परिघ, शिव, सिद्ध, साध्य, शुभ, शुक्ल, ब्रह्म, इन्द्र और वैधृति।
आज के लेख में Panchang का संक्षिप्त विवरण दिया है आगे के लेखो मे हम इन पांचो अंगों के बारे में विस्तार से बताएंगे |
जय प्रकाश
ज्योतिषशास्त्राचार्य एवं वास्तुशास्त्राचार्य
पायरा वास्तु एक्सपर्ट एवं साइंटिफिक वास्तु एक्सपर्ट
Director (Energy Vaastu)
Team Head (Learn and Cure)
www.learnandcure.com